किसी ज़माने में मैदान की 22 गज की पट्टी जिसे पिच कहते हैं जिम्मेदार हुआ करती थी बस किसी टीम की हार जीत की। या खिलाड़ी की परफॉर्मेंस की वजह से उसकी शान की। पर अब इस पिच पर बल्ले की तरफ आती बॉल और बल्ले से दूर जाती बॉल ने खिलाड़ियों के लिए बीसीसीआई के लिए, आईपीएल फ्रेंचाइजी ओनर्स सभी के भाग्य जगा दिए हैं।
और हम लोगों को अपने तीन फेवरेट शौक एक साथ मिल गए क्रिकेट, बॉलीवुड और पैसे वाले लोगों के बरसते पैसे को देखना।
आईपीएल जीतने वाली टीम को प्राइज मनी मिलती है तो बाकी की टीम्स क्या करती है? कैसे पैसा कमाती हैं? या बस घाटा उठाती हैं?
कहाँ से आता है हर साल इस लार्जर देन लाइफ इवेंट्स की झमाझम बरकरार रखने के लिए इन टीम्स के पास पैसा।
प्राइज मनी ही सोर्स नहीं है दोस्तों आईपीएल के पैसे का इनके यहां बार-बार छप्पर फाड़ फाड़ कर पैसा बरसता है।
आईए जानते हैं कैसे इस अद्भुत कहानी की शुरुआत होती है।
2007 से जब भारत T20 वर्ल्ड कप जीता तो ना ना करते करते क्रिकेट प्रेमी और क्रिटिक T20 फॉर्मेट के मुरीद हो चुके थे।
“इट्स अ सिक्सर” कहना और सुनना हर क्रिकेट प्रेमी को जोश से भर देता है। और T 20 में तो इसकी बाहर थी।
बीसीसीआई के तब के वाइस प्रेसिडेंट ललित मोदी ने दूर की सोच के साथ आईपीएल का बिजनेस मॉडल प्रस्तुत कर दिया और पूरे वर्ल्ड का इसमें इंटरेस्ट रहे इसलिए विदेशी खिलाड़ियों को भी जोड़ लिया।
इस बिजनेस मॉडल में रकम इतनी थी सभी के लिए कि किसी की गर्दन ना में हिल ही नहीं सकती थी।
इंडिया को क्रिकेट खेलना ब्रिटेन ने सिखाया पर क्रिकेट से पैसा कमाना वर्ल्ड को इंडिया ने सिखा दिया।
आईपीएल से बीसीसीआई को जो सबसे बड़ी आमदनी होती है वह होती है सेंट्रल पॉल से। स्पेसिफिकली इसमें भी सबसे बड़ा रेवेन्यू आता है ब्रॉडकास्टिंग राइट्स से 60% से ऊपर रेवेन्यू इसी से मिलता है।
2008 से 2017 तक सोनी ने आईपीएल के मीडिया राइट 8,200 करोड़ में खरीदे थे। और आज की तारीख मे अभी ये राइट्स स्टार इंडिया के पास हैं। स्टार इंडिया ने 2018 में अगले 5 साल के लिए यह राइट्स 16,374 करोड रुपए में खरीदे हैं। यानी 2017 तक आईपीएल का हर साल 820 करोड़ रुपए मिल रहे थे मीडिया राइट्स से और अब 3,269 करोड़ की सालाना आमदनी है।
इस रेवेन्यू का कुछ हिस्सा अपने पास रख कर बीसीसीआई आईपीएल टीम्स में बांट देती है।
इतने पैसे लगाकर आखिर स्टार इंडिया ने यह ब्रॉडकास्टिंग राइट्स क्यों खरीदी हैं?
दोस्तों, स्टार इंडिया को भी बहुत तरीकों से इन से फायदा होता है वह इन राइट्स को इंटरनेशनल ब्रॉडकास्टिंग के लिए बेच देती है। ऑनलाइन भी बहुत सारे लोग मैच देखते हैं तो वहां से भी स्टार को फायदा होता है। दूसरे रेडियो पर भी ब्रॉडकास्टिंग राइट्स को बेच देती है। चैनल की टीआरपी जो बढ़ती है उससे इसको फायदा होता है, और मैच के बीच में दिखाए जाने वाले एडवर्टाइजमेंट से भी ब्रॉडकास्टिंग राइट्स वाली चैनल को फायदा होता है।
सेंट्रल पॉल में ही दूसरी सबसे बड़ी आमदनी टाइटल स्पॉन्सरशिप की है। आईपीएल की शुरुआत में डी एल एफ स्पॉन्सर कर रहा था।
अब 222 करोड रुपए देकर ये टाइटल स्पॉन्सरशिप ड्रीम 11 ने संभाल रखी है।
दूसरा साधन इस छप्पर फाड़ पैसे का है टीम स्पॉन्सरशिप। बहुत से ब्रांड आईपीएल टीम को स्पॉन्सर करते हैं, जिनमें से एक मुख्य ब्रांड जो टीम को स्पॉन्सर कर रहा होता है उसका नाम टीम के सभी खिलाड़ियों की जर्सी हेलमेट आदि पर लिखा होता है साथ में और भी साइड स्पॉन्सर होते हैं जो बड़ी रकम इसके लिए टीम को देते हैं।
तीसरा ज़रिया कंपनी का है टिकट सेल्स वह लोकल रेवेन्यू। जब किसी टीम के होम ग्राउंड पर मैच होता है तो टिकट व स्टॉल आदि की परमिशन का पैसा टीम को मिलता है जिसमें से कुछ पैसा उन्हें लोकल क्रिकेट एसोसिएशन व स्टेडियम को देना होता है।
नेक्स्ट है मर्चेंडाइज सेल। खिलाड़ियों के ऑटोग्राफड आईटम, टीम की जर्सी, कैप्स आदि बेच कर भी टीम अच्छा खासा पैसा कमा लेती है।
अगला है प्राइस मनी इनकम। विनर के लिए 20 करोड़ और रनर अप के लिए 12.5 करोड़ की प्राइस मनी है। इसका भी एक हिस्सा टीम अपने पास रख कर बाकी खिलाड़ियों में बांट देती हैं कुछ और तरीकों से भी इनको इनकम होती है जैसे कि खिलाड़ियों को आपस में बेच कर भी टीम पैसा कमाती है।
आईपीएल टीम को अपने पूरे रेवेन्यू का 20% बीसीसीआई को देना होता है। मतलब लड्डू कहीं भी कटेगा हम सब में बटेगा।
बीसीसीआई हो या आईपीएल सब आपस में मिल बांट कर खाते हैं।
4000 करोड़ के नुकसान से बच गई थी बीसीसीआई लास्ट ईयर लॉकडाउन में आईपीएल कैंसिल ना होने से।
खिलाड़ी बिना दर्शकों के मैच खेल रहे थे और हम घर बैठे देख रहे थे।आईपीएल पर पैसे बरस रहे थे।
आप माने ना माने टिकट लेकर या ऑनलाइन मैच देखने तक मर्चेंटआईज आइटम खरीदने से लेकर एडवर्टाइजमेंट देखने तक आईपीएल को इतनी बड़ी कमाई करके देने वाले हम ही हैं दोस्तों। अपनी कमाई के लिए आईपीएल को हमें धन्यवाद कहना ही चाहिए।
Regards
Parul Singh